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हिंदी कहानी सुनाओ
खरगोश को देखकर सिंह ने क्रोध से लाल-लाल आँखे करके गरजकर कहा- ”अरे खरगोश, एक तो तू छोटा हैं और इतनी देर लगाकर आया हैं, आज तुझे मारकर कल जंगल के सारे पशुओ की जान ले लूँगा.
उसके प्रत्युतर में भासुरक ने कहा- तेरी बात ठीक हैं, किन्तु मै उस दुर्ग में बैठे सिंह को मार डालूगा. शत्रु को जितना जल्दी हो सके नष्ट कर देना चाहिए.
ऐसा विचार कर उन्होंने बुद्धिमान शिष्य की परीक्षा लेने का निर्णय लिया,
एक समय की बात है. एक राज्य में एक प्रतापी राजा राज करता था. एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी आगंतुक आया और उसने राजा को एक सुंदर पत्थर उपहार स्वरूप प्रदान किया.
जब वह चिड़िया एक तिनका लेकर पेड़ की तरफ उड़ी तो उसने देखा कि उसका घौसला बिसरा पड़ा है सारे तिनके बिखर गये हैं.
यह नही सोचता कि इनमें से कुछ भी मनुष्य का अपना नही हैं.
इतने में कुछ बच्चे और गुरुजी दौड़ते हुए आए. शीला के साहस की बात चारों और फ़ैल गईं. सभी ने उसकी प्रशंसा की.
तभी, शेरनी पर एक छोटे चूहे की नजर पड़ी। उसने देखा शेरनी बहुत दर्द में थी। चूहा, हालांकि काफी डरा हुआ था, उसने शेरनी से मदद की पेशकश करने के लिए साहस दिखाया। छोटा चूहा, बहुत दर्द झेलने के बाद, शेरनी के पंजे से कांटा निकालने में कामयाब रहा और उसे दर्द से मुक्त किया।
यह सोच उनका गुस्सा कई गुना बढ़ गया. उसने झट से तलवार उठाई और दोनों को मौत के घाट उतारने ही वाला था.
और इस कुरज को छोड़ दो, पर उस खेत का मालिक बेहद लोभी किस्म का इंसान था.
संत महात्मा तो स्वभाव से ही दयालु एवंम परोपकारी होते हैं. सदैव सबका ही भला चाहते हैं.
चमनपुर गाँव पहाडियों के बिच बसा हुआ हैं, गाँव से थोड़ी दूर पाठशाला थी.
दोनों भाई घर गये और अपने अपने घर से भोजन बनवाकर ले आए. महात्मा जी ने उन दोनों को बैठने के लिए कहा. तत्पश्चात उन्होंने भोजन के तीन भाग किए और दोनों भाइयों को भोजन करने का आदेश देकर भोजन करने लगे.
इस कथा से श्रीकृष्ण में एक परम विश्वस्त और उदार मित्र के दर्शन होते हैं.